बहुआयामी प्रतिभा के धनी प्रो. विपिन जोशी, एक अत्यंत सफल शिक्षाविद्, उद्यमी व दूरदर्शी हैं। उन्होंने Catalyser Eduventures स्थापित कर थोड़े ही समय में, IIT-JEE में All India Topper सहित 4 वर्षों में 5 IIT-JEE Zone Toppers जैसे अद्भुत परिणाम दिए, जो कि एक राष्ट्रीय रिकॉर्ड है। अत्यंत प्रतिष्ठित, N.T.S.E. में भी उनके पढ़ाए 950+ विद्यार्थी अब तक चयनित हो चुके है। शिक्षा के क्षेत्र में उनके अतुल्य योगदान के लिए, कई गणमान्य व्यक्तियों - श्री नितिन गड़करी (सड़क एवं परिवहन मंत्री-भारत सरकार), श्री सत्यपाल सिंह (मानव संसाधन विकास एवं उच्च शिक्षा, मंत्री - भारत सरकार), श्री शिवराज सिंह चौहान ( मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश), श्री दीपक जोशी (शिक्षा मंत्री, मध्य प्रदेश) द्वारा सम्मानित किये जा चुके है।
वे काम के प्रति अपने जुनून एवं समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की अपनी ज़िद के लिए प्रसिध्द है। उन्हीं की पहल पर, भारत के श्रेष्ठ वैज्ञानिकों, स्त्री रोग विशेषज्ञों व IITians, ने प्राचिन भारतीय गर्भ संस्कार के इस विज्ञान को पुनर्जिवित करने के लिए, गहन शोध आरंभ किया। जिसके परिणाम स्वरूप 'कृष्णा कमिंग' अस्तित्व में आया।
सनातन धर्म के नाथ परंपरा में दीक्षित, आचार्य प्रवीणनाथ जी महाराज ने स्वयं कई वर्षों तक विज्ञान के छात्रों को पढ़ाया। छोटी आयु से ही अध्यात्म के प्रति उनका झुकाव, उन्हें अपने गुरु के मार्गदर्शन में हिमालय ले गया। उस अवधि के दौरान आचार्यश्री ने, भगवत् गीता, रामायण, दासबोध व अन्य कई ग्रंथों का गहराई से अध्ययन किया । तदुपरांत, योग विशारद, ज्योतिष विद्या एवं प्राकृतिक चिकित्सा जैसे कई विषयों में डिग्री अर्जित की।
आचार्यश्री, वैदिक धर्म के प्रसार के लिए पूरे भारतवर्ष में निरंतर प्रवास पर रहते हैं । पिछले 22 वर्षों से आचार्य प्रवीणनाथ जी महाराज, भूले बिसरे प्राचीन भारतीय गर्भ संस्कार प्रक्रिया को पुनर्जीवित करने का अथक प्रयास कर रहे हैं। आज, आचार्यश्री के मार्गदर्शन में हजारों परिवारों ने शांत, बुद्धिमान और संस्कारवान संतान को जन्म दिया है।
परम पूजनीय शंकराचार्य के गौरवशाली वंश में जन्म लेने वाले आचार्य श्री शिवकरण थोट्टम नंबूदिरि ने अपना पूरा जीवन वेदों की सेवा में लगा दिया। श्री थोट्टम, केरला ही नहीं बल्कि भारत के दो विरले नंबूदिरि परिवारों में से एक, से संबंध रखते हैं| जिन्होंने सामवेद का प्राचीन शास्त्रीय परंपरा के अनुसार, जप का संरक्षण व संवर्धन किया है। आयुर्वेद के जीते जागते विश्वविद्यालय श्री थोट्टम ने वैदिक ऋचाएँ एवं मंत्रों के मानवों पर चमत्कारी प्रभाव प्रमाणित कर जर्मनी, अमेरिका व अन्य कई देशों को चमत्कृत किया है।
वेद रत्न डॉ. शिवकरण थोट्टम नंबूदिरि ने कृष्णा कमिंग में सामवेद की ऋचाओं का शास्त्रोक्त विधि से पाठ किया है, जिससे गर्भस्थ शिशु के मन, बुद्धि व संस्कार का संवर्धन हो सके।
श्री कोठमंगलम वासुदेवन नंबूदिरि भारत में ऋग्वेद के सबसे सम्मानित व वरिष्ठतम विशेषज्ञ माने जाते हैं । आरंभ के दिनों से ही, श्री वासुदेवन नंबूदिरि ने अपनी प्रखर मेधा से, विभिन्न अकादमिक स्तर पर कई स्वर्ण पदक प्राप्त किए । अपने भारतीय प्रशासनिक सेवा के सांख्यिकी विभाग में रैंक वन अधिकारी के रूप में भी, कई वर्षों तक कार्य किया। जब श्री नंबूदिरि ने अनुभव किया कि उनकी प्रशासनिक सेवा, वेदों के लिए उनकी सेवा के आड़े आ रही है, उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली और अपना जीवन, वेदों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। आज उनके मार्गदर्शन में सैकड़ों ब्राह्मण भारत की वैदिक परंपरा का अध्ययन कर रहे हैं।
श्री कोठमंगलम वासुदेवन नंबूदिरि ने कृष्णा कमिंग में ऋग्वेद के मंत्रों द्वारा गर्भस्थ शिशु के मन, बुद्धि व संस्कार को संवर्धित करने का उत्तरदायित्व लिया है।
जब भी हाई-रिस्क प्रेगनेंसी की बात आती है, डॉ. निवालकर को भारत के सर्वश्रेष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञों में गिना जाता है । 1995 में MBBS व 2001 में MD (OBS & GYN) करने के बाद, पिछले 20 वर्षों में एक लाख से अधिक गर्भधारण मामलों को सफलतापूर्वक संभाला है ।
अत्याधिक सफल व अनुभवी मेडिको होने के साथ ही, डॉ. निवालकर गत् 17 वर्षों से गर्भावस्था के दौरान, महिलाओं को सकारात्मक व तनाव मुक्त रहने का प्रशिक्षण दे रही हैं।
1980 में, IIT Mumbai की पहली बैच के छात्र रहे प्रो. रमेश नागदा, आरंभ से ही बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी रहे। विभिन्न उच्च स्तरीय शैक्षणिक समितियों के सदस्य, प्रो. नागदा स्वयं एक सफल उद्यमी, IIT ट्रेनर व एक काउंसलर है। उनके द्वारा प्रशिक्षित हजारों छात्र, आज विभिन्न बहुराष्ट्रीय कंपनियों में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी चमक बिखेर रहे हैं। विज्ञान के साथ ही अध्यात्म में भी उनकी गहन रुचि है। प्रो. नागदा पिछले कई वर्षों से कृष्णा कमिंग टीम के सदस्य हैं।
उनकी तकनीकी विशेषज्ञताएँ, इष्ट मंत्र का अनुसंधान करने के लिए बनाए गए कृष्णा कमिंग सॉफ्टवेयर एल्गोरिदम में अत्यंत सहायक सिद्ध हुई। यह इष्ट मंत्र, प्रत्येक युगल के लिए भिन्न व विशिष्ट होता है। इसकी गणना, ज्योतिष विज्ञान में वर्णित गर्भधारिणी महिला व पति की राशि युग्म की गणना के अनुसार होता है।
प्रो. पंकज पिंपले, विगत 20 वर्षों से भारत भर के कई रिसर्च स्कॉलर्स के लिए एक प्रेरणा रहे हैं। कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी आधुनिक व वैज्ञानिक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। लगभग तीन दशकों से IIT के लिए छात्रों को प्रशिक्षित कर रहे हैं।
विज्ञान व आध्यात्म में समान रूप से रुचि रखने के कारण, प्रो. पिंपले गर्भ संस्कार से संबंधित आधुनिक विज्ञान के अनुसंधान एवं प्राचीन ग्रंथों की वैज्ञानिक प्रासंगिकता का विश्लेषण करने के लिए गहराई तक गए। उनके इस वृहद अध्ययन ने, कृष्णा कमिंग को गर्भ संस्कार के लिए संसार का सबसे विश्वसनीय व वैज्ञानिक माध्यम बनाने में योगदान दिया।