मां बनना दुनिया का सबसे खूबसूरत एहसास है। और अगर प्रेगनेंसी पहली हो तो अक्सर न्यू पेरेंट्स अपने होने वाले शिशु के लिए कुछ ज़्यादा ही concerned और over protective होते हैं, जो कि होना लाज़मी भी है। हर पेरेंट्स चाहते हैं कि उनका होने वाला बच्चा मां के पेट में बिलकुल हेल्थी और सेफ रहे और प्रेगनेंसी बिना किसी complications के आसानी से हो जाए।
यूँ तो गर्भ में पल रहे बच्चे की position और growth का पता लगाने के लिए डॉक्टर्स time to time ultrasound करवाने की सलाह देते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि अगर होने वाली माँ अपने शरीर को बारीकी से observe करें, तो ultrasound के बिना भी इस बात का अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि गर्भ में पल रहा शिशु सुरक्षित है या नहीं। इन observations का एक और फायदा ये भी है कि इनकी मदद से हम बेबी को, होने वाली कई तकलीफों से बचा सकते हैं। साथ ही सही समय पर precautions लेकर प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले कई कॉम्प्लीकेशन्स और खतरों को रोक भी सकते हैं। तो आइये बात करते हैं कुछ ऐसे ही छः संकेतों के बारे में जो बताते हैं कि गर्भ में पल रहा शिशु पूरी तरह से स्वस्थ और सुरक्षित है :
प्रेगनेंसी के लगभग पांचवे हफ्ते में बेबी का दिल धड़कना शुरू कर देता है। होने वाले शिशु की हार्ट बीट का पता लगाने के लिए प्रेगनेंसी के डेढ़ महीने या 6 हफ़्तों में अल्ट्रा साउंड टेस्ट किया जाता है। इसके अलावा शिशु के दिल की धड़कन की जांच के लिए प्रेगनेंसी के दसवे हफ्ते से लेकर तीसरे महीने के अंत तक doppler test भी किया जाता है। कभी-कभी doppler test से भी बच्चे की दिल की धड़कन का पता नहीं चल पाता। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि कभी कभी गर्भ में बेबी की पोजीशन और प्लेसेंटा की जगह बदल जाती है। लेकिन अगर दूसरे doppler टेस्ट तक भी शिशु की धड़कन का पता ना चले तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए।
प्रेगनेंसी के दौरान माँ का वेट गेन करना एक बहुत ही नार्मल बात है। लगभग 10 किलो से लेकर 12, 13 किलो तक, माँ का वजन बढ़ना एक हेल्थी वेट गेन माना जाता है। इससे ज़्यादा वजन बढ़ना प्रेगनेंसी के दौरान कॉम्प्लीकेशन्स पैदा कर सकता है। पहले trimester में महिला का वेट उतना नहीं बढ़ता। चौथे, पांचवे और छठे महीने में वजन बढ़ने लगता है और खासकर सातवे, आठवे और नवें महीने में वजन बहुत तेज़ी से बढ़ता है। होने वाली का मां का वेट हेल्थी तरीके से बढ़ रहा है या नहीं इसे जांचने के लिए weight charting भी की जाती है। वेट का हेल्थी तरीके से बढ़ना ये इंडीकेट करता है कि गर्भ में पल रहा fetus एक healthy state में है।
जब माँ के गर्भ में शिशु का डेवलपमेंट होता है तब गर्भाशय का साइज भी बढ़ने लगता है जिसकी वजह से माँ का पेट बाहर की ओर निकलने लगता है। First trimester में पेट बहुत कम निकलता है। चौथे और पांचवे महीने के बाद ही पेट का साइज बढ़ना शुरू होता है। अगर pregnancy के दौरान गर्भाशय का साइज नहीं बढ़ रहा है, इसका मतलब ये हो सकता है कि गर्भ में पल रहे शिशु को कोई प्रॉब्लम है या वो अंदर ही अंदर थोड़ा खराब हो गया है। ऐसी सिचुएशन में आपको तुरंत अपने डॉक्टर से के पास जाना चाहिए।
ज़िन्दगी में पहली बार अपने पेट में एक नए जीवन की हलचल महसूस करना बहुत ही मैजिकल और खुशनुमा एक्सपीरियंस होता है।
कई सेंसिटिव मदर्स को ये मूवमेंट बहुत जल्दी महसूस होना शुरू हो जाती है। पर Generally ज़्यादार महिलाओं को दूसरे और तीसरे trimester में बच्चे की हलचल महसूस होना शुरू होती है। जिसके बाद ये फीटल मूवमेंटस धीरे - धीरे बढ़ने लगती है और शिशु की डिलीवरी तक लगातार महसूस होती है। पहली बार महसूस होने वाली fetal movement को Quickening कहते है।
अगर आप प्रेग्नेंट हैं और आपको भी ये फीटल मूवमेंट्स महसूस हो रही है तो इन्हें एन्जॉय करें क्योंकि इस हलचल का मतलब है कि आपका बेबी आपके पेट में एकदम healthy और safe है।
कभी - कभी माँ को ऐसा भी लगता है कि पेट में शिशु की मूवमेंटस नहीं हो रही है। ऐसी स्थिति में घबराये नहीं। क्योंकि ऐसा थकान की वजह से भी हो सकता है। ऐसा होने पर आप थोड़ा rest करें और ध्यान से अपने आप को observe करें कि 12 घंटे के अंतराल में कम से कम 10 बार फीटल मूवमेंटस हुए है या नहीं। प्रेगनेंसी के पांचवे महीने के बाद से यदि आपको कभी भी फीटल मूवमेंट कम महसूस हो तो तुरंत अपने gynecologist से कंसल्ट करें। लापरवाही ना करें।
महिलाओं के शरीर में "human chorionic gonadotropin नाम का एक हार्मोन होता है, जो कि fertilization के बाद fertilized egg को नुट्रिशन यानि पोषण देने के लिए काम आता है। और इसी वजह से HCG को प्रेगनेंसी हार्मोन भी कहा जाता है। इस हार्मोन की वजह से ही पेट में अंडा | egg विकसित होता है। प्रेगनेंसी के आठवे से लेकर ग्यारहवे हफ्ते के बीच में HCG का लेवल सबसे ज़्यादा होता है। जिसे हम ब्लड या यूरिन टेस्ट करके measure भी कर सकते हैं।
HCG का लेवल कभी भी 5 milli-international units per milliliter से कम नहीं होना चाहिए। अगर प्रेगनेंसी के आठवे से लेकर ग्यारहवे हफ्ते तक HCG का लेवल नार्मल है तो ये एक अच्छी न्यूज़ है क्योंकि ऐसे में बेबी को गर्भाशय में सही पोषण मिल रहा है और वो अंदर बिलकुल हेल्थी है|
जब कोई भी महिला pregnancy conceive करती है तो उसे पेट में अकड़न महसूस होने लगती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि Pregnancy conceive करने के दौरान uterus के अंदर blood circulation बहुत ज़्यादा बढ़ जाता है, जिस वजह से पेट में अकड़न या ऐठन होने लगती है। ये एक नार्मल सा symptom है और एक हेल्थी प्रेगनेंसी का sign है । ये ऐठन बिलकुल वैसी ही होती है जैसे कि periods के दौरान पेट में क्रैम्प्स होते हैं। लेकिन अगर आपको ऐठन के साथ ही ब्लीडिंग भी होने लगे तो तुरंत डॉक्टर को कंसल्ट करना चाहिए क्योंकि ये अक्सर miscarriage का लक्षण होता है।
तो दोस्तों ये थी वो छः बातें जो इस बात की ओर इशारा करती है कि पेट में पल रहा शिशु एकदम सुरक्षित है। इसके अलावा एक स्वस्थ और सुरक्षित प्रेग्नेंसी के लिए ये बेहद ज़रूरी है कि होने वाली माँ अच्छा पौष्टिक खाना खाएं, खुश रहें और स्ट्रेस बिलकुल भी ना ले।
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